आज गर्भधारण एवं प्रसवपूर्व निदान तकनीक/
प्रतापगढ़ (ब्यूरो) –
आज गर्भधारण एवं प्रसवपूर्व निदान तकनीक/
लिंगचयन प्रतिषेध अधिनियम 1994 के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु जनपदीय कार्यशाला का आयोजन मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय सभागार में किया गया । कार्यशाला का उदघाट्न मुख्य चिकित्साधिकारी डा0एच0सी0एल0 द्विवेदी ने द्वीप प्रज्जवलन कर किया । कार्याशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए अपर शोध अधिकारी आर0पी0चौधरी ने बताया कि प्रदेश सरकार पी0सी0पी0एन0डी0टी0 के अधीन मुखबिर योजना काफी गम्भीरता सें ले रही है जिसके अन्तर्गत मुखबिरी करने वाले मुखबिर को एवं मिथ्याग्राहक के सहायक को क्रमशः 60000/,100000/,एवं 40000/रूपये की धनराशि प्रदान की जायेगी। साथ ही पंजीयन नवीकरण अल्ट्रासाउण्ड केन्द्र के अभिलेखों का रख-रखाव को बताया ।
कार्याशाला में मुख्य चिकित्साधिकारी, डा0एच0सी0एल0द्विवेदी ने कहा कि किसी भी कीमत पर नियम विरूध कार्य करने वाले कन्या -भू्रण हत्या करने वाले एवं ऐसे अल्ट्रासाउण्ड केन्द्रों के संचालको को बक्शा नही जायेगा और अप्रैल से गम्भीरता पूर्वक इस पर ध्यान देते हए त्वारित कार्यवाही की जायेगी।इस अवसर पर सन्दर्भ व्यक्त के रूप में ज्ञान विज्ञान के सचिव हेमन्त नन्दन ओझा ने कहा कि जनपद में वर्ष 2016 से 2017 के जन्म लिगांनुपात में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्वि हुयी है जो काफी चिन्ताजनक है। इनके द्वारा इस अवसर पर गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994 एवं गर्भ चिकित्सीय समापन अधिनियम 1971 के विभिन्न पहलुओं एवं नियमों पर गहरायी से प्रकाश डाला। कार्याशाला में सलाहकार समिति के सदस्य मु0नसीम अन्सारी , डा0शिवमूर्ति लाल मौर्य ने लिंगानुपात एवं इसके कुप्रभाव के परिपेक्ष्य में प्रकाश डाला। राजशेखर जिला कार्यक्रम प्रबन्धक नें कार्याशाला में आये हुए सभी प्रतिभागियों अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर डा0एस0के0मौर्या, डा0एस0के0सिंह , श्री राजेश कुमार गुप्ता जिला मलेरिया अधिकारी , डा0महेन्द्र कुमार एवं जनपद भर से आये अल्ट्रासाउण्ड सेन्टर के चिकित्सक/संचालको एवं अन्य उपस्थित रहें।
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